अज्ञान हटे तो बात समझ में आए

🥀 ०४ अक्टूबर २०२३ बुधवार 🥀
!! आश्विन कृष्णपक्ष पंचमी २०८० !!
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‼ऋषि चिंतन‼
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➖😞अज्ञान हटे😞➖
〰️तो〰️
☝️〰️बात समझ में आए〰️☝️
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👉 वह परमात्मा हमारे प्रतिक्षण साथ रहता है पर उसकी उपस्थिति से जो लाभ मिलना चाहिए उसे कोई विरले ही उठा पाते हैं । घर की जमीन में गड़ा धन, यदि अपनी जानकारी में न हो हो क्या लाभ मिलेगा? गले में पड़े हुए हीरे के कण्ठा को यदि हमने कांच जितना ही समझ लिया हो, तो उससे अपने को क्या लाभ प्राप्त होगा? परमात्मा की अपार और अत्यन्त शक्ति एवं अनुकम्पा हर घड़ी अपने साथ है पर उसका परिपूर्ण लाभ उठा सकना अनजान के लिए कठिन है। जिस जानकारी के आधार पर परमात्मा के सहचर होने का समुचित सत्परिणाम प्राप्त किया जा सकता है उसे ही “सद्ज्ञान” या “अध्यात्म” कहते हैं।
👉 कपड़े के झीने पर्दे की आड़ में बैठे हुए दो व्यक्ति दूसरे को देख नहीं सकते यद्यपि यह अनुभव करते हैं कि कोई पर्दे के उधर बैठा है। हम यह तो जानते हैं कि परमात्मा हमारे समीप है, भीतर ही है पर उसकी उपस्थिति से वह आनन्द और लाभ नहीं उठा पाते जो सान्निध्य सहचरत्व से मिलना चाहिये। राजा-रईस, अमीर-अधिकारी, योद्धा, विद्वान, कलाकार आदि श्रेष्ठ लोगों की मित्रता और समीपता से जब लोग बहुत लाभ उठा लेते हैं तो इतने “उदार” और “अनुग्रही” परमात्मा के निरन्तर साथ रहते हुए भी कुछ लाभ न उठा सके तो यह अपना दुर्भाग्य ही कहा जाएगा। एक अज्ञान का आवरण उस पर्दे के समान है जो पास बैठे हुए व्यक्तियों को भी दूरस्थ जैसी स्थिति में बनाए रहता है। जमीन में गड़ा धन और गले में पड़ा कंठा अज्ञान के कारण ही उपयोग में नहीं आता । “अज्ञान” इस संसार का एक बड़ा अभाव और दुर्भाग्य है, उसे हटाने के लिए समुचित प्रयत्न किया ही जाना चाहिए ।
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