ईश्वर से मित्रता कीजिए

🥀 ०५ अक्टूबर २०२३ गुरुवार 🥀
!! आश्विन कृष्णपक्ष षष्ठी २०८० !!
➖➖➖➖‼️➖➖➖➖
‼ऋषि चिंतन‼
➖➖➖➖‼️➖➖➖➖
〰️〰️〰️➖🌹➖〰️〰️〰️
➖ईश्वर से मित्रता कीजिए➖
〰️〰️〰️➖🌹➖〰️〰️〰️
👉 जिन्दगी को ठीक तरह जीने के लिये एक ऐसे साथी की आवश्यकता रहती है जो पूरे रास्ते हमारे साथ रहे, बतावे, प्यार करे, सलाह दे और सहायता की शक्ति तथा भावना दोनों से ही सम्पन्न हो। ऐसा साथी मिल जाने पर जिन्दगी की लम्बी मञ्जिल बड़ी हँसी- खुशी और सुविधा के साथ पूरी हो जाती है। अकेले चलने में यह लम्बा रास्ता भारी हो जाता है और कठिन प्रतीत होता है।
👉 ऐसा सबसे उपयुक्त साथी जो निरन्तर मित्र, सखा, सेवक, गुरु, सहायक की तरह हर घड़ी प्रस्तुत रहे और बदले में कुछ भी प्रत्युपकार न माँगे केवल एक “ईश्वर” ही हो सकता है। ईश्वर को जीवन का सहचर बना लेने से मञ्जिल इतनी मङ्गलमय हो जाती है कि यह धरती ही ईश्वर के लोक-स्वर्ग जैसी आनंद-युक्त प्रतीत होने लगती है। यों ईश्वर सबके साथ है और वह सबकी सहायता भी करता है पर जो समझते और देखते हैं, वास्तविक लाभ उन्हें ही मिल पाता है। किसी के घर में सोना गड़ा है और उसे वह प्रतीत न हो तो गरीबी ही अनुभव होती रहेगी किन्तु यदि मालूम हो कि हमारे घर में इतना सोना है, तो उसका भले ही उपयोग न किया जाए, मन में अमीरी का गर्व और विश्वास बना रहेगा। *ईश्वर को भूले रहने पर हमें अकेलापन प्रतीत होता है पर जब उसे अपने रोम-रोम में समाया हुआ, अजस्र प्रेम और सहयोग बरसाता हुआ अनुभव करते हैं, साहस हजारों गुना अधिक हो जाता है। आशा और विश्वास से ह्रदय हर घड़ी भरा रहता है।
👉 *जिसने ईश्वर को भुला रखा है, अपने बलबूते पर ही सब कुछ करता है और सोचता है उसे जिन्दगी बहुत भारी प्रतीत होती है।* इतना वजन उठाकर चलने में उसके पैर लड़खड़ाने लगते हैं । कठिनाइयाँ और आपत्तियाँ सामने आने पर भय और आशंका से कलेजा धक-धक करने लगता है। अपने साधनों में कमी दीखने पर भविष्य अन्धकारमय प्रतीत होने लगता है पर जिसे ईश्वर का विश्वास है, वह सदा यह अनुभव करेगा कि “कोई बड़ी शक्ति” मेरे साथ है। जहाँ अपना बल थकेगा वहाँ “उसका बल” मिलेगा। जहाँ अपने साधन कम पड़ रहे होंगे वहाँ उसके साधन उपलब्ध होंगे। इस संसार में क्षण-क्षण पर प्राणघातक संकट और आपत्तियों के पर्वत मौजूद हैं जो उनसे अब तक अपनी रक्षा करता रहा है वह आगे क्यों न करेगा ?
➖➖➖➖🪴➖➖➖➖