उपासना में दृढ़ विश्वास हो➖➖ कि ➖〰️परमात्मा सदैव उपस्थित हैं

🥀२९ अक्टूबर २०२३ रविवार🥀
!!कार्तिक कृष्णपक्ष प्रतिपदा २०८० !!
➖➖➖➖‼️➖➖➖➖
‼ऋषि चिंतन‼
➖➖➖➖‼️➖➖➖➖
〰️〰️〰️➖🌹➖〰️〰️〰️
➖उपासना में दृढ़ विश्वास हो➖
➖ कि ➖
〰️परमात्मा सदैव उपस्थित हैं〰️
〰️〰️〰️➖🌹➖〰️〰️〰️
👉 सच्ची भावना के साथ की हुई “उपासना” चमत्कार की तरह फलवती होती है। भावना को परमात्मा में पूर्ण रूप से, संयोजित करके कुछ देर की की हुई उपासना जीवन पर एक स्थायी प्रभाव डालती है जो कि उत्कृष्ट विचारों, निर्विकार स्वभाव तथा सत्कमों के रूप में परिलक्षित होता है। “उपासना” करता हुआ भी जो व्यक्ति गुण, कर्म, स्वभाव एवं मन वचन कर्म से उत्कृष्ट नहीं बना तो यही मानना होगा उसने उपासना की ही नहीं, केवल वैसा करने का नाटक किया है ।
👉 भजन-पूजन अथवा जप-कीर्तन करने के समय तक भी मनुष्य अपने पास अपने हृदय अथवा अपनी चेतना में परमात्मा की समीपता अनुभव करता रहे तो उतनी देर की वह समीपता आनन्द एवं उत्साह के रूप में दिन भर अनुभव होती रह सकती है। उपासना के समय जितनी – जितनी गहराई के साथ अपनी मानसिक भावना को परमात्मा में संयोजित किया जाएगा यह अनुभव उतनी- उतनी ही गहराई से जीवन में उतरता और स्थिर होता जाएगा और एक दिन ऐसा आ जाएगा कि मनुष्य अपने में तथा अपने से बाहर उस परमपिता को हर समय ओत-प्रोत देखने लगेगा।
👉 ऐसी स्थिति आ जाने पर मनुष्य का आत्मोद्धार निश्चित है। उसके गुण, कर्म, स्वभाव परमात्मा जैसे पावन प्रभु के सामीप्य के योग्य उत्कृष्ट एवं पवित्र हो जाएगे। सामीप्य की स्थायी एवं स्पष्ट अनुभूति होने से उसे असंदिग्ध विश्वास हो जाएगा कि परमात्मा सर्वत्र व्याप्त है, कोई भी प्रच्छन्न अथवा प्रकट स्थान उससे रहित नहीं है। वह अन्तर्यामी और घट-घट की जानने वाला है। परमात्मा की उपस्थिति का विश्वास होने पर प्रथम तो मनुष्य स्वाभाविक रूप से बुरा करेगा ही नहीं और यदि फिर भी वह धृष्टतापूर्वक ऐसा करता है तो उसे अपने इस जघन्य अपराध का कितना और कैसा यातनापूर्ण दण्ड मिलेगा इसकी कल्पना नहीं की जा सकती।
👉 “उपासना” का उद्देश्य केवल इतना ही है कि उसके द्वारा परमात्मा का अधिकाधिक सान्निध्य प्राप्त किया जाए जिससे उस परमपिता की वह कृपा पाई जा सके जो हमारी आत्मा मुक्ति का हेतु बन सके और ऐसा तभी सम्भव हो सकता है जब हमारी उपासना निर्लोभ एवं निष्काम हो और हमारे जीवन की रीति – नीति एवं गतिविधि उपासना के अनुरूप ही महान् एवं पावन हो ।
➖➖➖➖🪴➖➖➖➖