🥀 २१ नवंबर २०२३ मंगलवार 🥀
!!कार्तिक शुक्लपक्ष नवमी २०८० !!
➖➖➖➖‼️➖➖➖➖
‼ऋषि चिंतन‼
➖➖➖➖‼️➖➖➖➖
〰️〰️〰️➖🌹➖〰️〰️〰️
“बातचीत” भी एक कला है
〰️〰️〰️➖🌹➖〰️〰️〰️
👉 एक महापुरुष का कथन है- “मुझे बोलने दो, मैं विश्व को विजय कर लूँगा।” सचमुच “वाणी” से अधिक कारगर हथियार और कोई इस दुनिया में नहीं है। जिस आदमी में ठीक तरह उचित रीति से बातचीत करने की क्षमता है, समझिये कि उसके पास एक मूल्यवान् खजाना है। दूसरों पर प्रभाव डालने का प्रधान साधन “वाणी” है। देन लेन, व्यवहार, आचरण, विद्वता, योग्यता आदि का प्रभाव डालने के लिए समय की, अवसर की क्रियात्मक प्रयत्न की आवश्यकता होती है, पर “वार्तालाप” एक ऐसा उपाय है, जिसके द्वारा बहुत ही स्वल्प समय में दूसरों को प्रभावित किया जा सकता है।
👉 “बातचीत” करने की कला में जो निपुण हैं, वह असाधारण संपत्तिवान् हैं। योग्यता का परिचय वाणी के द्वारा प्राप्त होता है। जिस व्यक्ति का विशेष परिचय मालूम नहीं है, उससे कुछ देर “बातचीत” करने के उपरांत जाना जा सकता है कि वह कैसे आचरण का है, कैसे विचार रखता है, कितना योग्य है, कितना ज्ञान और अनुभव रखता है। जो दूसरों के ऊपर अपनी योग्यता प्रकट करता है, ऐसे प्रमुख मनुष्य को बहुत ही सावधानी के साथ बरता जाना चाहिए। कई ऐसे सुयोग्य व्यक्तियों को हम जानते हैं. जो परीक्षा करने पर उत्तम कोटि का मस्तिष्क, उच्च हृदय और दृढ चरित्र वाले साबित होंगे, परंतु उनमें “बातचीत” करने का ढंग न होने के कारण सर्व साधारण में मूर्ख समझे जाते हैं और उपेक्षणीय दृष्टि से देखे जाते हैं। उनकी योग्यताओं को जानते हुए भी लोग उनसे कुछ लाभ उठाने की इच्छा नहीं करते। कारण यह कि बातचीत के छिछोरपन से लोग झुंझला जाते हैं और उनसे दूर-दूर बचते रहते हैं।
👉 अनेक व्यक्ति ऐसे भी पाये जाते हैं, जो इतने योग्य नहीं होते जितना कि सब लोग उन्हें समझते हैं। “वाणी” की कुशलता के द्वारा वे लोग दूसरों के मन पर अपनी ऐसी छाप बिठाते हैं कि सुनने वाले मुग्ध हो जाते हैं। कई बार योग्यता रखने वाले लोग असफल रह जाते हैं और छोटी कोटि के लोग सफल हो जाते हैं। प्रकट करने के साधन ठीक हो तो कम योग्यता को ही भली प्रकार प्रदर्शित किया जा सकता है और उनके द्वारा बहुत काम निकाला जा सकता है। “बातचीत” की कला से अनभिज्ञ होने के कारण दो-तिहाई से भी अधिक योग्यताएँ निकम्मी पड़ी रहती हैं। यदि इस विद्या की जानकारी हो तो तिगुना कार्य संपादन किया जा सकता है। जितनी सफलता आप प्राप्त करते हैं, उतनी तो तिहाई योग्यता रखने वाला भी प्राप्त कर सकता है। आप अपनी शक्तियाँ बढ़ाने के लिए घोर परिश्रम करें, किंतु उनसे लाभ उठाने में असमर्थ रहें, तो वह उपार्जन किस काम का ? उचित यह है कि जितना कुछ पास में है उसका ठीक ढंग से उपयोग किया जाए। जिन्हें “मूर्ख” कहा जाता है या “मूर्ख” समझा जाता है वास्तव में वे उतने अयोग्य नहीं, जितना कि ख्याल किया जाता है। उनमें भी बहुत अंश तक बुद्धिमत्ता होती है, परंतु जिस अभाव के कारण उन्हें अपमानित होना पड़ता है—वह अभाव है- “बातचीत” की कला से परिचित न होना।”
➖➖➖➖🪴➖➖➖➖