➖➖➖➖‼️➖➖➖➖
‼ऋषि चिंतन‼
➖➖➖➖‼️➖➖➖➖
〰️〰️〰️🌸🌼🌸〰️〰️〰️
🌹👉भविष्यवाणियाँ👈🌹
➖–जो पूरी होकर रहेंगी-१–➖
〰️〰️〰️🌸🌼🌸〰️〰️〰️
👉 “धर्म” अपने वास्तविक स्वरूप में प्रकट होगा । उसके प्रसार प्रतिपादन का ठेका किसी वेश या वंश विशेष पर न रह जाएगा । संप्रदायवादियों के डेरे उखड़ जाएँगे, उन्हें मुफ्त के गुलछर्रे उड़ाने की सुविधा छिनती दिखेगी तो कोई उपयोगी धंधा अपनाकर भले मानुषों की तरह आजीविका उपार्जित करेंगे । तब उत्कृष्ट चरित्र, परिष्कृत ज्ञान एवं लोकमंगल के लिए प्रस्तुत किया गया अनुदान ही किसी को सम्मानित या श्रद्धास्पद बना सकेगा । पाखंड पूजा के बल पर जीने वाले उलूक, उस दिवा प्रकाश से भौंचक्के होकर देखेंगे और किसी कोटर में बैठे दिन गुजारेंगे । अज्ञानांधकार में जो पौ बारह रहती थी उन अतीत की स्मृतियों को वे ललचाई दृष्टि से सोचते-चाहते तो रहेंगे,पर फिर समय लौट कर कभी आ न सकेगा ।
👉 अगले दिनों “ज्ञानतंत्र” ही “धर्मतंत्र” होगा । चरित्र निर्माण और लोकमंगल की गतिविधियाँ धार्मिक कर्मकांडों का स्थान ग्रहण करेंगी । तब लोग प्रतिमापूजक देव मंदिर बनाने की तुलना में पुस्तकालय, विद्यालय जैसे ज्ञान मंदिर बनाने को महत्व देंगे ।तीर्थयात्राओं और ब्रह्मभोजों में लगने वाला धन लोक शिक्षण की भाव भरी सत्प्रवृत्तियों के लिए अर्पित किया जाएगा । कथा पुराणों की कहानियाँ तब इतनी आवश्यक न मानी जाएँगी, जितनी जीवन समस्याओं को सुलझाने वाली प्रेरणाप्रद अभिव्यंजनाएँ । धर्म अपने असली स्वरूप में निखर कर आएगा और उसके ऊपर चढ़ी हुई सड़ी गली केंचुली उतरकर कूड़े-करकट के ढेर में जा गिरेगी ।
👉 “ज्ञानतंत्र” वाणी और लेखनी तक ही सीमित न रहेगा, वरन उसे प्रचारात्मक, रचनात्मक एवं संघर्षात्मक कार्यक्रमों के साथ बौद्धिक, नैतिक और सामाजिक क्रांति के लिए प्रयुक्त किया जाएगा । साहित्य, संगीत, कला के विभिन्न पक्ष विविध प्रकार से लोक शिक्षण का उच्च स्तरीय प्रयोजन पूरा करेंगे । जिनके पास प्रतिभा है, जिनके पास संपदा है, वे उससे स्वयं लाभान्वित होने के स्थान पर समस्त समाज को समुन्नत करने के लिए समर्पित करेंगे ।
〰️〰️〰️🍁☘️🍁〰️〰️〰️