🥀 १२ फरवरी २०२४ सोमवार🥀
🍁माघ शुक्लपक्ष तृतीया २०८०🍁
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‼ऋषि चिंतन‼
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➖आप आगे बढ़ने की इच्छा करें➖
➖ईश्वर आपकी सहायता करेंगे➖
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👉 जो मनुष्य आगे बढ़ने की तीव्र इच्छा करते हैं, उन्नति के लिए सच्चे हृदय से जो जाँफिशानी के साथ प्रयत्नशील है, उनके प्रशंसनीय उद्योग को देखकर ईश्वर प्रसन्न होता है, अपना सच्चा आज्ञापालक समझता है और उन्हें प्यार करता है। जिस पर उस परम पिता का विशेष स्नेह है, उसे यदि वह कुछ विशेष सहायता दे देता है, तो इसमें आश्चर्य की कोई बात नहीं है। एक प्रसिद्ध कहावत है कि- “ईश्वर उसकी मदद करता है, जो अपनी मदद आप करता है।” उन्नतिशील स्वभाव के लोगों को, उनकी उचित प्रवृत्ति में सहायता करने के लिए परमपिता परमात्मा ऐसे साधन उपस्थित कर देता है जिससे उसकी यात्रा सरल हो जाती है। अचानक, अनिश्चित एवं अज्ञात सहायताओं का मिल जाना, इसी प्रकार संभव होता है। बाइबिल का वचन है कि “जो माँगता है, उसे दिया जाता है, जो जो द्वार खटखटाता है, उसके लिए खोला जाता है।” रामचरितमानस कहता है कि- *”जेहि कर जेहि पर सत्य सनेहू। सो तेहि मिलहि न कछु संदेहूं।” यह विश्व प्रभु की सर्वांगपूर्ण कृति है, यहाँ किसी वस्तु का अभाव नहीं है। सब कुछ प्राप्त किया जा सकता है, बशर्ते कि पाने को उत्कट लालसा के साथ तीव्र प्रयत्न भी हो। छोटा बच्चा जब घुटनों चलता है, तो माता उसे खड़ा होकर चलना सिखाती है। वह मिठाई का टुकड़ा जरा ऊँचा रखकर दिखाती है, ताकि बालक उसे लेने के लिए पैरों के बल खड़ा हो जाए। जब खड़ा होना सीख जाता है तो फल, मिठाई, खिलौना आदि का लालच देकर पैरों के बल चलना सिखाती है और बच्चे को प्रोत्साहित करती है, इसमें उसका यह उद्देश्य छिपा रहता है कि बच्चा घुटनों चलना छोड़कर खड़ा होना और पैरों के बल चलना सीखें, उन्नति करने की यात्रा को जारी रखें । परमात्मा ने हमें धन, विद्वता, बल, पदवी आदि के लालच इसलिए उपस्थित किए हैं कि उनको पाने के लिए हम घोर प्रयत्न करें और उस प्रयत्न के साथ – साथ अपनी मनोभूमि को उन्नत, बलवान विकसित बनाएं ।
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