🥀// १९ मई २०२४ रविवार //🥀
//वैशाख शुक्लपक्ष एकादशी २०८१//
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‼ऋषि चिंतन‼
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➖आदर्शवादी व्यक्तियों को➖
समुचित सम्मान मिलना चाहिए
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👉 समाज का नेतृत्व करने वाल प्रबुद्ध लोगों का काम है कि वे ऐसा वातावरण बनाएँ, ऐसा आंदोलन चलाएँ; जिसमें “आदर्शवाद” का अवलंबन करने वाले व्यक्तियों को कम-से-कम सामाजिक सम्मान का लाभ तो मिल ही सके। यों उन आदर्शवादी व्यक्तियों को नि:स्पृह ही रहना चाहिए, और किसी सम्मान, सहयोग, पुरस्कार आदि की आशा न करके अपने
कर्त्तव्यपालनजन्य आत्मसंतोष को ही पर्याय मान लेना चाहिए। उनके लिए यही शोभनीय है। पर समाज के कर्णधारों का उत्तरदायित्व भिन्न है। उन्हें चाहिए कि ऐसे वातावरण का सृजन करें, जिसमें अवांछनीय तत्त्वों की हिम्मत न बढ़े, प्रोत्साहन न मिले। साथ ही “आदर्शवादी” व्यक्ति कम-से-कम लोकश्रद्धा के भाजन तो बन ही सकें। उनके साहस का परिचय अधिक लोग प्राप्त करके उस मार्ग का अनुसरण करने की प्रेरणा प्राप्त करें।
👉 यह तथ्य भुलाने का नहीं है कि वातावरण से व्यक्ति प्रभावित होते हैं और व्यक्तियों का रुझान जिस ओर चल पड़े वैसा ही बन जाता है। समाज का निर्माण वातावरण के निर्माण पर निर्भर है। वातावरण बनाने के लिए ही आंदोलन चलाए जाते हैं। नवनिर्माण के आंदोलन में यह प्रक्रिया जुड़ी हुई रहनी ही चाहिए कि असामाजिक तत्त्वों को, अनैतिक व्यक्तियों को कोई सहयोग, समर्थन और प्रोत्साहन प्राप्त न हो। इसके विरुद्ध सन्मार्गगामी आदर्शों पर सुदृढ़ रहने वाले अपने साहस के लिए, उचित सम्मान प्राप्त कर सकें ।
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