श्राद्ध में क्या करें क्या न करें? | श्राद्ध कैसे करे

श्राद्ध में क्या करें क्या न करें?

 सनातन धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व है। पितृ पक्ष साल का वो समय होता है जब हमारे पूर्वज धरती पर हमसे मिलने आते हैं। ये एक ऐसा समय है जब वो अपने परिवार को नजदीक से देख पाते हैं और अपना आशीर्वाद देते हैं।

हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व बताया गया है। इस अवधि में पितरों को पिंडदान, तर्पण और श्राद्ध कर्म किए जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि श्राद्ध पक्ष में किये गए पूजा कर्म से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है।

गरुड़ पुराण में निहित है कि पितृपक्ष के दौरान पितरों का तर्पण और पिंडदान करने से तीन पीढ़ी के पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। पितृ पक्ष के दौरान मांगलिक समेत कई कार्यों को करने की मनाही होती है।अनदेखी करने से पितृ अप्रसन्न  हो जाते हैं। इससे व्यक्ति विशेष के जीवन पर बुरा प्रभाव पड़ता है। पितृ पक्ष के दौरान ऐसा कुछ भी नहीं करना चाहिए जिससे मिलने आने वाले पूर्वजों के सम्मान को ठेस लगे। पितरों की कृपा पाने वाले परिवार ही जीवन में तरक्की

करते हैं और उनके ही घर में खुशहाली का वास होता है। अत: पितृ पक्ष के दौरान भूलकर भी ये गलतियां न करें। आइए जानते हैं कि पितृ पक्ष में क्या करें और क्या न करें वीडियो शुरू करने से पहले आपसे एक निवेदन है कि हमारे चैनल ज्ञान ही अनमोल है को सब्सक्राइब कर लीजिए वीडियो को लाइक और शेयर कीजिए। वीडियो पसंद आए तो कमेंट में जरूर बताएं। चलिए तो वीडियो शुरू करते हैं

चलिए आपको बताते हैं पितृपक्ष में क्या नहीं करना चाहिए

पितृपक्ष में क्या न करें

1.  पितृपक्ष के दौरान मांस-मछली  का सेवन नहीं करना चाहिए। साथ ही मदिरा का भी सेवन न करें। इस दौरान लहसुन-प्याज वाला भोजन भी नहीं करना चाहिए। इस तरह के भोजन का सीधा असर मन-मस्तिष्क पर पड़ता है।अनदेखी करने से पितरों की कुदृष्टि व्यक्ति पर पड़ती है। इससे पूर्वज भी नाराज होते हैं।

2. ऐसा माना जाता है कि पितृ पक्ष के समय में हमारे पूर्वज पशु पक्षियों के रूप में हमसे मिलने आते हैं। ऐसे में आप भूल से भी किसी जीव जंतु को परेशान न करें। ऐसा करने से पितर गुस्सा हो सकते हैं। इस अवधि में आप पशु पक्षियों को भोजन कराएं और उनकी सेवा करें।

3. श्राद्ध कर्म की इस 16 दिवसीय अवधि में किसी भी तरह के मांगलिक कार्यों का आयोजन नहीं किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि पितृ पक्ष में किये गए शुभ कार्य का सही फल भी नहीं मिल पाता है। इस अवधि में नया घर, वाहन, प्रॉपर्टी आदि की खरीदारी से भी बचना चाहिए। इस वजह से इस दौरान मांगलिक कार्य निषेध होते हैं। नवरात्रि के साथ ही सभी शुभ कार्य प्रारंभ हो जाएंगे।

4. पितृ पक्ष में ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। इस अवधि में पितर किसी न किसी रूप में हमारे आसपास रहते हैं।

5. रात में कभी भी श्राद्ध नहीं करना चाहिए, क्योंकि रात को राक्षसी का समय माना गया है। संध्या के वक़्त भी श्राद्ध नहीं करना चाहिए।

6. पितृ पक्ष के दौरान उड़द की दाल, सत्तू, चने की दाल, चना, बेसन आदि चीजों का सेवन न करें। इसके अलावा, मसूर की दाल, कुलथी की दाल, गाजर, मूली आदि चीजों से भी परहेज करें।  

7. पितृ पक्ष के दिनों में शरीर पर तेल, सोना, इत्र और साबुन आदि का उपयोग नहीं करना चाहिए।

श्राद्ध करते समय क्रोध, कलह और जल्दबाजी नही करनी चाहिए।

8. घर के बड़े-वृद्ध का अपमान न करें। परिवार में किसी का दिल न दुखाएं और न ही उनके मान-सम्मान को ठेस पहुचाएं। इसके साथ ही पशु-पक्षी और जीव-जंतु को भी न सताएं।

पितृ पक्ष के दौरान खरीदारी न करें और न ही नए रंग के वस्त्र धारण करें। इस पक्ष के दौरान भूलकर शुभ कार्य की शुरुआत न करें। ऐसा करने से व्यक्ति को पितृ दोष लगता है।

9.पितरों के श्राद्ध के दिन ब्राह्मण, गाय या देवहती को लोहे के बर्तन में भोजन नहीं करना चाहिए. श्राद्ध पक्षों में लोहे को वर्जित बताया गया है.

10. बाल ,नाखून नहीं काटना चाहिए और शेविंग करने से भी बचना चाहिए।

आइए जानते हैं पितृपक्ष में क्या-क्या करना चाहिए

पितृपक्ष में क्या करना चाहिए?

पिता का श्राद्ध पुत्र द्वारा किया जाना चाहिए। पुत्र की अनुपस्थिति में उसकी पत्नी श्राद्ध कर सकती है।

श्राद्ध में बनने वाले पकवान पितरों की पसंद के होने चाहिये।

श्राद्ध में गंगाजल, दूध, शहद, और तिल का उपयोग सबसे ज़रूरी माना गया है।

श्राद्ध में ब्राह्मणो को सोने, चांदी, कांसे और तांबे के बर्तन में भोजन कराना सर्वोत्तम माना जाता हैं।

श्राद्ध पर भोजन के लिए ब्राह्मणों को अपने घर पर आमंत्रित करना चाहिए।

मध्यान्हकाल में ब्राह्मण को भोजन खिलाकर और दक्षिणा देकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए।

इस दिन पितर स्तोत्र का पाठ और पितर गायत्री मंत्र आदि का जाप दक्षिणा मुखी होकर करना चाहिए।

श्राद्ध के दिन कौवे, गाय और कुत्ते को ग्रास अवश्य डालनी चाहिए क्योंकि इसके बिना श्राद्ध अधूरा माना जाता है।

पितरों का श्राद्ध सिर्फ और सिर्फ अपने घर में ही करें दूसरों की जमीन पर उनका श्राद्ध भूलकर भी न करें।

गौ माता की सेवा करना और उन्हें भोजन कराना भी पितरों की आत्मा की शांति के लिए जरूरी होता है. इसलिए इन दिनों में गाय की सेवा जरूर करनी चाहिए.

इस दौरान अच्छे कर्म और सदाचार का पालन करें. पितृ पक्ष में दान-पुण्य करना बहुत ही शुभ माना जाता है इससे परिवार में खुशहाली बनी रहती है.