Conscious People Listen To The Call Of The Era | जागरूक व्यक्ति युग की पुकार सुनें

🥀 ०३ जनवरी २०२४ बुधवार🥀
🍁पौष कृष्णपक्ष सप्तमी २०८०🍁
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‼ऋषि चिंतन‼
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जागरूक व्यक्ति युग की पुकार सुनें
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👉 ईश्वरीय शक्ति का अवतरण प्राकट्य हर ऐसे संधिकाल में होता है, जब परिवर्तन के अलावा कोई उपाय नहीं रह जाता। उसके स्वरूप और क्रिया- कलाप में हेर-फेर अवश्य होता रहता है। हिरण्याक्ष राक्षस जब धरती को समुद्र में ले जाकर छिप गया तो भगवान को वाराह का रूप धारण करना पड़ा। हिरण्यकशिपु को वरदान था कि वह न मनुष्य से मारा जा सकेगा और न पशु से, न घर में मारा जा सकेगा और न बाहर, न मल्ल युद्ध में मारा जा सकेगा न शस्त्र युद्ध में। इसलिए भगवान को मनुष्य और सिंह का सम्मिलित रूप धारण कर देहरी में नखों को शस्त्र की तरह उपयोग कर हिरण्यकशिपु का संहार करना पड़ा। इसी प्रकार आतताइयों का संहार करने के लिए परशुराम, मर्यादा की स्थापना के लिए राम, योग का कर्म प्रधान रूप प्रस्तुत करने के लिए कृष्ण और बौद्धिक क्रांति के लिए बुद्ध को अवतरित होना पड़ा। इस अवतरण प्रक्रिया में कहीं भी जड़ता नहीं है, अधर्म का विनाश और धर्म की स्थापना ही प्रधान लक्ष्य रहा है।
👉 आज की परिस्थितियाँ भिन्न हैं। पहले असुरता सीधे आक्रमण करती थी और समाज व्यवस्था को अस्त-व्यस्त, तहस-नहस करती थी। आज असुरता ने छद्म आक्रमण की नीति अपनाई और वह जनमानस में विकृतियाँ उत्पन्न कर रही है। आदर्शों और मर्यादाओं की अवज्ञा इस व्यापक स्तर पर होने लगी है कि उनके लिए कटिबद्ध व्यक्ति अपवाद बनते चले जा रहे हैं। ईश्वर के अस्तित्व को मानने और देवस्थानों पर प्रतिमा के सामने सिर झुकाने वालों का अभाव नहीं है। अभाव है उन व्यक्तियों का जिन्हें सच्चे अर्थों में आस्तिक कहा जा सके। ईश्वर के अस्तित्व को अस्वीकार करने वाला उतना नास्तिक नहीं है, जितना कि उसे मानते हुए भी आदर्शों और मर्यादाओं की अवज्ञा करने वाला। फलत: इन दिनों चारों ओर जितने भी संकट, जितनी भी समस्याएँ दिखाई देती हैं, उनके मूल को खोजें तो विदित होगा कि आज का संकट आस्थाओं का संकट है।
👉 इस बार नवयुग की, “युग गायत्री” की अवतरण प्रक्रिया भी असुरता के उन्मूलन और देवत्व के उदय के सनातन उद्देश्य से पूर्ण है। परिस्थितियों के अनुरूप उस चेतना के उदय हेतु प्रयासों का स्वरूप भी भिन्न होगा। अवांछनीयता, असुरता को निरस्त करने का यह धर्म युद्ध धर्मक्षेत्र में, अंत:करण की गहराई में उतरकर लड़ा जाना है और जनमानस के परिष्कार द्वारा आस्थाओं के परिशोधन द्वारा नवयुग के निर्माण में ग्वाल-वालों की रीछ-वानरों की भूमिका निभाने के लिए हर जागरूक व्यक्ति को आगे आना है।
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