🥀 १२ दिसंबर २०२३ मंगलवार🥀
!! मार्गशीर्षकृष्णपक्षअमावस्या२०८० !!
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‼ऋषि चिंतन‼
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➖सुखी, स्वस्थ व सभ्य समाज➖
❗अध्यात्मवाद से संभव❗
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👉 लौकिक जीवन में “आरोग्य”, “धन – संपत्ति” और “स्नेह – सौजन्य” इन तीन विभूतियों को सुख का आधार माना गया है।
जिनको इन तीन विभूतियों की प्राप्ति हो जाती है, वह निश्चित रूप से अपने को सुखी और संतुष्ट अनुभव करता है। यह तीनों विभूतियाँ “अध्यात्म” की साधारण-सी सिद्धियाँ हैं। कोई भी “अध्यात्मवादी” इन्हें बड़ी सरलता से अनायास ही प्राप्त कर सकता है । “अध्यात्मवाद” के सत्परिणाम चिरप्रसिद्ध हैं। उसके आधार पर लौकिक तथा पारलौकिक, भौतिक एवं आत्मिक दोनों प्रकार के सुख-शांति प्राप्त होती है।
👉 “आध्यात्मिक” विचारधारा और तदनुरूप आचरण करने वाले को शांति, संतोष, हर्ष-उल्लास, निर्भयता और प्रसन्नता की स्थिति प्राप्त होना अनिवार्य है। यद्यपि यह स्थिति आत्मभूत भी होती है तथापि “आध्यात्मिक” चरित्र वाला व्यक्ति भौतिक-साधनों से भी वंचित नहीं रहता। जब किसी सत्पुरुष को उपरोक्त स्थिति प्राप्त होती है तो उसके साथ उसके स्थूल साधनों का जुड़ा रहना भी अनिवार्य है, जिस प्रकार आकार के साथ उसका प्रकार जुड़ा रहता है । इस प्रकार “अध्यात्मवादी” अंतर और बाह्य दोनों ओर से सुखी और संपन्न बना रहता है।
👉 अपनी और अपने समाज की वर्तमान अधोदशा का सुधार करने के लिए हम सबको पूर्वजों से निर्देशित आत्मा के महाविज्ञान “अध्यात्मवाद” को अपने व्यावहारिक जीवन में सिद्ध करते चलना चाहिए। इससे भौतिक उन्नति के साथ-साथ आत्मिक उन्नति भी होती चलेगी और एक दिन हम सब अपने परमकल्याण की प्राप्ति कर लेंगे ।