Heaven and true happiness are within sight | स्वर्ग एवं वास्तविक सुख अपने दृष्टिकोण में है

🥀 ३० नवंबर २०२३ गुरुवार🥀
!!मार्गशीर्ष कृष्णपक्ष तृतीया २०८० !!
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‼ऋषि चिंतन‼
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“स्वर्ग” एवं वास्तविक सुख
➖अपने दृष्टिकोण में है➖
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👉 अच्छा हो यदि मनुष्य अपने मस्तिष्क से इस धारणा को निर्वासित कर दे कि संसार के बाहर “स्वर्ग” नाम का कोई ऐसा स्थान, लोक अथवा क्षेत्र है, जिसको प्राप्त कर लेने पर उसकी स्थायी प्रसन्नता की समस्या सदा-सर्वदा के लिए हल हो जायेगी। स्वर्ग इस संसार से बाहर अन्यत्र कहीं नहीं है, वह यहीं इसी संसार में आपके मनोमंदिर में विराजमान् है। उसे कभी भी अपने वांछित प्रयत्नों से बाहर प्रतिबिंबित किया जा सकता है। जहाँ प्रेम, पवित्रता, सदाशयता, सहयोग, त्याग एवं उदारता का वातावरण मौजूद है, वहाँ “स्वर्ग” नहीं तो और क्या है ? जिसका हृदय वासनाओं, तृष्णाओं, कामनाओं तथा आवेग-उद्वेगों से मुक्त है, वह “स्वर्ग” में ही तो निवास करता है। “स्वर्ग” हमारे अंदर-बाहर सर्वत्र बिखरा पड़ा है। किंतु यदि हमारे हृदय में असंतोष, ईर्ष्या-द्वेष, पाप एवं पश्चात्ताप, की चितायें जल रही हैं, वासनाओं तथा वितृष्णाओं का धुआँधार हो रहा है, आँखों पर भौतिकता की चमक चढ़ी हुई है, साधनों का लोभ भरा हुआ है, तो हम उस सार्वत्रिक स्वर्ग को कैसे तो अनुभव कर हैं और किस प्रकार देख सकते हैं ? अपने मानसिक मलों को दूर करिये, दृष्टि पथ से लोभ एवं स्वार्थ के अपराधों को दूर करिए, अपने मस्तिष्क में दैवी भावनाओं की कृषि कीजिये, अपने चारित्रिक विकास से देवों की स्थिति प्राप्त करिये और तब देखिये कि “स्वर्ग” आप में और “स्वर्ग” में आप ही निवास कर रहे हैं। शुद्धि एवं सात्त्विकता का विकास कीजिये और यथा स्थान एवं स्थिति में स्वर्गीय सुख-शांति का प्रसाद पाइए।
👉 यह भूल जाइये कि वास्तविक सुख-शांति का निवास साधनों की प्रचुरता में है, किंतु यह याद रखिये कि उसका निवास मानसिक उत्कर्ष में ही है। जिसका साधारण-सा अर्थ है कि मनोभूमि को अतिशयताओं के घास-फूस व कुश-कंटक से आवृत्त न होने दीजिए। जो कुछ आपको प्राप्त है, उसमें संतुष्ट रहिए और अधिक पाने की चेष्टा करते रहिए, अति कामनाओं अथवा अतिशयता के अभिशाप से अपनी रक्षा कीजिये, जीवन के प्रति रुचि, संतोष और आस्था की भावना रखिये और अभाव के भाव को अपने निकट मत फटकने दीजिए। सभी के साथ प्रेम एवं सहानुभूति का व्यवहार कीजिये और श्रद्धापूर्वक अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए जीवनयापन करिये और देखिए कि आपकी प्रसन्नता आपके पास विराजमान है।
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