उपासना का परिणाम आत्मानंद है | The Result Of Worship Is Self-Bliss

🥀 २० नवंबर २०२४ बुधवार 🥀//मार्गशीर्ष कृष्णपक्ष पंचमी २०८१//➖➖‼️➖➖‼ऋषि चिंतन‼〰️➖🌹➖〰️उपासना का परिणाम आत्मानंद है〰️➖🌹➖〰️👉 अनेक बार लोग कह उठते हैं कि – “यह हमारा व्यक्तिगत अनुभव है कि अधिक उपासना करने वाले लोग बहुधा विपन्न और दुःखी ही रहा करते हैं।” संसार का कोई भी सच्चा उपासक इस विपरीत कथन से सहमत नहीं हो सकता … Read more

अपनी उपासना को सार्थक बनाएं |

🥀// २८ जून २०२४ शुक्रवार //🥀🍁 आषाढ़कृष्णपक्ष सप्तमी२०८१ 🍁➖➖‼️➖➖‼ऋषि चिंतन‼➖➖‼️➖➖〰️➖🌹➖〰️अपनी उपासना को सार्थक बनाएं〰️〰️〰️➖🌹➖〰️〰️〰️👉 अध्यात्म-साधना को “ज्ञान” और “विज्ञान”- इन दो पक्षों में विभाजित कर सकते हैं। “ज्ञान” पक्ष वह है जो पशु और मनुष्य के बीच का अंतर प्रस्तुत करता है और प्रेरणा देता है कि इस सुरदुर्लभ अवसर का उपयोग उसी प्रयोजन के … Read more

Justice of God || ईश्वर का न्याय

Justice of God One day, a sage set out on a journey with his disciple. The sage preferred not to engage in idle chatter, and he valued silence and the peaceful performance of his duties. However, the disciple was quite restless. He always found himself distracted and enjoyed engaging in conversations with others. As they … Read more

ईश्वर का न्याय || Justice of God

ईश्वर का न्याय एक दिन मार्ग में एक महात्मा जी अपने शिष्य के साथ भ्रमण पर निकले। गुरुजी को ज्यादा इधर-उधर की बातें करना पसंद नहीं था, कम बोलना और शांतिपूर्वक अपना कर्म करना ही गुरू जी को प्रिय था। परन्तु शिष्य बहुत चपल था, उसे सदैव इधर-उधर की बातें ही सूझती, उसे दूसरों की … Read more

The Art of Living || जीवन जीने की कला

🥀 March 22, 2024, Friday 🥀Trayodashi of Falgun Shukla Paksha 2080➖➖‼️➖➖‼️Rishi Chintan‼️➖➖‼️➖➖➖The Art of Living➖➖🌹➖👉 Understanding the essence of “Dharma” can lead to the knowledge of “The Art of Living.” A life imbued with righteousness is a life devoted to Dharma. Striving dutifully towards ideals and human values is what falls under the realm of … Read more

जीवन जीने की कला || The Art of Living

🥀 २२ मार्च २०२४ शुक्रवार🥀फाल्गुन शुक्लपक्ष त्रयोदशी २०८०➖➖‼️➖➖‼ऋषि चिंतन‼➖➖‼️➖➖➖जीवन जीने की कला➖➖🌹➖👉 “धर्म” का तत्त्वदर्शन सही समझ में आ सके तो “जीवन जीने की कला” का ज्ञान हो सकता है। सुसंस्कारिता से युक्त जीवन ही धर्मपरायण जीवन है। श्रेष्ठताओं एवं मानवीय आदर्शों के प्रति कर्तव्यनिष्ठ रहकर किए गए सत्प्रयास ही “धर्म” की परिधि में आते … Read more