संकीर्णता के दायरे से बाहर निकलें | Step Out Of The Boundaries Of Narrow-Mindedness

🥀 ०२ दिसंबर २०२४ सोमवार 🥀// मार्गशीर्ष शुक्लपक्ष प्रतिपदा २०८१//➖➖‼️➖➖‼ऋषि चिंतन‼〰️➖🌹➖〰️संकीर्णता के दायरे से बाहर निकलें | Step out of the boundaries of narrow-mindedness〰️➖🌹➖〰️👉 मानव मानव के बीच संघर्ष लड़ाई का कारण गरीबी, अभाव आदि नहीं, वरन् “तेरे मेरे” का प्रश्न है। अपने लाभ, अपनी समृद्धि, अपने की सार-संभाल सभी को प्रिय लगती है, किंतु … Read more

प्रसन्न रहना अथवा उद्विग्न हमारे दृष्टिकोण पर निर्भर है

🥀 ०८ नवंबर २०२४ शुक्रवार 🥀//कार्तिक शुक्लपक्ष सप्तमी २०८१ //➖➖‼️➖➖‼ऋषि चिंतन‼〰️➖🌹➖〰️➖प्रसन्न रहना अथवा उद्विग्न➖❗हमारे दृष्टिकोण पर निर्भर है❗〰️➖🌹➖〰️👉 “मानसिक उद्विग्नता” भी मनुष्य जीवन की बहुत बड़ी समस्या है। शांत, संतुष्ट, संतुलित और प्रसन्न रहने वाले व्यक्ति बिरले ही दिखाई देते हैं। अधिकांश व्यक्तियों के माथे पर त्यौरियाँ चढ़ी होती हैं, आँखों में बुझापन, चेहरे पर … Read more

अपने सही स्वरूप को हम जानें

🥀०८ अक्टूबर २०२४ मंगलवार🥀//आश्विन शुक्लपक्ष पंचमी २०८१ //‼ऋषि चिंतन‼〰️➖🌹➖〰️अपने सही स्वरूप को हम जानें〰️➖🌹➖〰️👉 “आत्मा” की महिमा और गरिमा को समझा जा सके तो उसे उसके स्तर के अनुरूप स्थिति में रखने की इच्छा होगी। इसके लिये जगी अभिलाषा और विकसित हुई स्थिति आत्मगौरव कहलाती है। “गौरवान्वित” को संतोष मिलता है और आनंद भी। तिरस्कृत … Read more

हम विचार क्यों नहीं करते ?

🥀 १६ जुलाई २०२४ मंगलवार 🥀//5 शुक्लपक्ष दशमी २०८१ //➖➖‼️➖➖‼ऋषि चिंतन‼➖➖‼️➖➖➖हम विचार क्यों नहीं करते ?➖〰️➖🌹➖〰️👉 “जीवन के साथ घनिष्ठतापूर्वक जुड़ी हुई एक कुटेब चटोरेपन की है।” सृष्टि के सभी प्राणी अपना स्वाभाविक आहार कच्चे रूप में प्राप्त करते हैं, कोई प्राणी अपने भोजन को पकाता, भूनता, तलता, मिर्च-मसाले, शकर आदि के आधार पर चटपटा … Read more