निषादराज की प्रतीक्षा
निषादराज की प्रतीक्षा
चौदह वर्षों के एक एक दिन उस भोले मानुस ने उंगलियों पर गिन कर काटे थे।चौदह बरसातें बीत गयी थीं,चौदह बार शीतलहर बह कर समाप्त हो गयी थी,और अब चौदहवाँ वसंत भी बीत आया था।वे चौदह वर्ष बाद लौट आने को कह गए हैं- तो चौदह वर्ष बीतते ही अवश्य … Read more