जीवात्मा के विषय में हमारी समझ परिपक्व होना ही चाहिए

🥀०९ अक्टूबर २०२४ बुधवार🥀//आश्विन शुक्ल पक्ष षष्ठी २०८१ //➖‼️➖‼ऋषि चिंतन‼〰️➖🌹➖〰️जीवात्मा के विषय में हमारी समझ👉 परिपक्व होना ही चाहिए 👈〰️➖🌹➖〰️👉 “जीवात्मा” आखिर है क्या ? उसका लक्षण, स्वरूप, स्वभाव और लक्ष्य क्या है ? इस प्रश्न पर विज्ञान अपने बचपन में विरोधी था, वह कहता था- जड़ तत्त्वों के, अमुक रसायनों के एक विशेष संयोग- … Read more

चतुर नहीं समझदार बनिए

🥀 २८ जुलाई २०२४ रविवार 🥀//श्रावण कृष्णपक्ष अष्टमी २०८१ //➖➖‼️➖➖‼ऋषि चिंतन ❗❗〰️➖🌹➖〰️चतुर नहीं समझदार बनिए〰️➖🌹➖〰️👉 यों कहने को तो सभी अपने को “समझदार” कहते हैं, पर उनकी यह मान्यता कसौटी पर कसने से खोटे सिक्के की तरह अवास्तविक सिद्ध होती है। “चतुर”, “चालाक”, “धूर्त”, “प्रपंची” भी अपने आपको “समझदार” होने का दावा करते हैं। अधिक … Read more

जीवन का आनंद

~~~ बहुत समय पहले की बात है जब सिकंदर अपने शक्ति के बल पर दुनिया भर में राज करने लगा था वह अपनी शक्ति पर इतना गुमान करने लगा था कि अब वह अमर होना चाहता था उसने पता लगाया कि कहीं ऐसा जल है जिसे पीने से व्यक्ति अमर हो सकता है। देश-दुनिया में … Read more

Desire Is Not A Sin The Degradation Of Desire Is A Sin || इच्छा करना पाप नहीं है इच्छा की निकृष्टता पाप है

🥀 26th April 2024, Friday 🥀🍁Vaishakh Krishna Paksha Tritiya 2081🍁➖➖‼️➖➖‼️Rishi Chintan‼️➖➖‼️➖➖➖Desire is not a sin➖👉The degradation of desire is a sin👈➖🌹➖👉 The emergence of “desire” in a human being is not an unnatural process. A human being is the result of the desire of that great and ancient being, hence his inclination towards desire is … Read more

इच्छा करना पाप नहीं है इच्छा की निकृष्टता पाप है || Desire Is Not A Sin The Degradation Of Desire Is A Sin

🥀 २६ अप्रैल २०२४ शुक्रवार🥀🍁वैशाख कृष्णपक्ष तृतीया२०८१🍁➖➖‼️➖➖‼ऋषि चिंतन‼➖➖‼️➖➖➖इच्छा करना पाप नहीं है➖👉इच्छा की निकृष्टता पाप है👈➖🌹➖👉 मनुष्य में “इच्छा” का उदय होना कोई अस्वाभाविक प्रक्रिया नहीं है। मनुष्य स्वयं ही उस विराट एवं पुराण पुरुष की इच्छा का परिणाम है, तब उसका इच्छुक होना सहज स्वाभाविक है। जहाँ “इच्छा” नहीं, वहाँ सृजन नहीं, विकास नहीं, … Read more

Wander Not — Focus On One || भटक मत — एक में अटक

“Wander not—Focus on one” Whoever went to the hermitage of the sages with true faith and complete belief, perhaps never returned empty-handed! One day, a beautiful soul entered the hermitage and after greeting the sage, their conversation began! Traveler – Oh revered one, I am in great dilemma about whose worship to pursue and whose … Read more

भटक मत — एक में अटक || Wander Not — Focus On One

भटक मत—एक में अटक जो भी ऋषिवर के आश्रम मॆ सच्ची श्रद्धा और पूरे विश्वास के साथ गया शायद वो कभी खाली हाथ नही लौटा !ऐसे ही एक दिन एक सुन्दर आत्मा ने आश्रम मॆ प्रवेश किया और ऋषिवर को प्रणाम करने के बाद दोनो की वार्ता शुरू हुई ! राहगीर – हॆ देव मॆ … Read more

जीवन जीने की कला || The Art of Living

🥀 २२ मार्च २०२४ शुक्रवार🥀फाल्गुन शुक्लपक्ष त्रयोदशी २०८०➖➖‼️➖➖‼ऋषि चिंतन‼➖➖‼️➖➖➖जीवन जीने की कला➖➖🌹➖👉 “धर्म” का तत्त्वदर्शन सही समझ में आ सके तो “जीवन जीने की कला” का ज्ञान हो सकता है। सुसंस्कारिता से युक्त जीवन ही धर्मपरायण जीवन है। श्रेष्ठताओं एवं मानवीय आदर्शों के प्रति कर्तव्यनिष्ठ रहकर किए गए सत्प्रयास ही “धर्म” की परिधि में आते … Read more

The Consequences of Excessive Talk || अति वाचालता का दुष्परिणाम

एक राजा बहुत अधिक बोलता था।_* _उसका मन्त्री विद्वान् और हित चिन्तक था। इसलिये सोचता रहता था- कि राजा को कैसे इस दोष से मुक्त करूँ!_ _और वह ज्ञान दूँ- जो कि मनुष्य के हृदय में बहुत गहराई से उतरकर उसके स्वभाव का अंग बन जाता है।_ _मन्त्री हमेशा राजा के हित की सोचता रहता … Read more