We Can Make Our Life Great | हम अपना जीवन उत्कृष्ट बना सकते हैं

🥀 १२ जनवरी २०२४ शुक्रवार🥀
🍁पौष शुक्लपक्ष प्रतिपदा २०८०🍁
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‼ऋषि चिंतन‼
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हम अपना जीवन उत्कृष्ट बना सकते हैं
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👉 जीवन के “सफेद” और “काले” पक्ष को समझ लेने के उपरांत, सहज ही प्रश्न उठता है कि क्या ऐसा संभव नहीं है कि परिस्थितियों के ढाँचे में ढले-लोक-प्रवाह में बहते हुए, संग्रहीत कुसंस्कारों से प्रेरित, वर्तमान अनगढ़ जीवन को, अपनी इच्छानुसार-अपने स्तर को फिर से गढ़ा जाए और प्रस्तुत “निकृष्टता” को “उत्कृष्टता” में बदल दिया जाए ? उत्तर ‘ना’ और ‘हाँ’ दोनों में दिया जा सकता है। “ना” उस परिस्थिति में जब आंतरिक परिवर्तन की उत्कट आकांक्षा का अभाव हो और उसके लिए आवश्यक साहस जुटाने की उमंगें उठती न हों। दूसरों की कृपा-सहायता के बलबूते उज्ज्वल भविष्य के सपने तो देखे जा सकते हैं, पर वे पूरे कदाचित ही कभी किसी के होते हैं। बाहरी, दैवी और संसारी सहायताएँ मिलती तो हैं, पर उन्हें पाने के लिए पात्रता की अग्नि परीक्षा में गुजरते हुए अपनी प्रामाणिकता का परिचय देना पडता है। उतना झंझट सिर पर उठाने का मन न हो-सहज ही कुछ इधर-उधर की हथफेरी करके भौतिक संपदाएँ, आत्मिक विभूतियाँ पाने के लिए जी ललचाता भर हो तो कहा जा सकता है कि व्यक्तित्व को “महामानवों” के स्तर पर गठित करना और उसके फलस्वरूप उच्चस्तरीय सिद्धियाँ प्राप्त कर सकना एक प्रकार से असंभव ही है। उत्तर नकारात्मक समझा जा सकता है।
👉 “हाँ” उस स्थिति में कहा जा सकता है जबकि साधक में यह विश्वास उभरा हो कि “वह अपना स्वामी आप है”- “अपने भाग्य का निर्माण कर सकना उसके अपने हाथ की बात है।” दूसरों पर न सही अपने शरीर और मन पर तो अपना अधिकार है ही और उसके अधिकार का उपयोग करने में किसी प्रकार का कोई व्यवधान व हस्तक्षेप कहीं से भी नहीं हो सकता। मन की दुर्बलता ही है जो ललचाती, भरमाती और गिराती है। तनकर खड़ा हो जाने पर भीतरी और बाहरी सभी दबाव समाप्त हो जाते हैं और अभीष्ट दिशा में निर्भयता एवं निश्चितता के साथ बढ़ा जा सकता है। समुद्र की गहराई में उतरकर मोती ढूँढ़ने में विशिष्ट प्रकार के साधन एवं प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है। जीवन समुद्र की गहराई में उतरकर एक से एक बहुमूल्य रत्न ढूँढ़ लाना सरल है। इसमें किसी बाहरी साधना या उपकरण की जरूरत नहीं-मात्र “प्रचंड संकल्प शक्ति” चाहिए। “प्रचंड” का तात्पर्य है “धैर्य” और “साहस” का उतनी मात्रा में समन्वय जिससे संकल्प के डगमगाते रहने की बालबुद्धि उभर आने की आशंका न हो। स्थिर बुद्धि से सतत प्रयत्न करते रहने और फल प्राप्ति में देर होते देखकर अधीर न होने की, वरन दूने उत्साह से प्रयत्न करने की सजीवता जहाँ भी होगी वहाँ सफलता पैर चूमने के लिए हाथ जोड़े, सिर झुकाए खड़ी होगी। ऐसे मनस्वी व्यक्ति अपने को, अपने वातावरण को यहाँ तक कि अपने प्रभावक्षेत्र को कायाकल्प की तरह बदल सकने में सफल हो सकते हैं। जीवन परिष्कार की भविष्यवाणी करते हुए ऐसे ही लोगों की सफल संभावना को “हाँ” कहकर आश्वस्त किया जा सकता है।
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